स्वास्थ्य के नियम, स्वास्थ्य जीवन के प्राकृतिक नियम

 

 स्वास्थ्य के नियम, स्वास्थ्य जीवन के प्राकृतिक नियम

आप जरा सोचे और अनुभव करें कि पिछले दशकों में हमारे देश में जिस प्रकार से स्वास्थ्य की सुविधाएं बढ़ी है फिर भी बीमारियां भी बड़ी है इसका सही उत्तर है, हमारी अप्राकृतिक जीवन शैली ! यदि अपने रहन-सहन और जीवनशैली में सुधार कर ले तो हम सुखी रह सकते हैं। अच्छा स्वास्थ्य, निरोगी जीवन, दीर्घायु जीवन ,मनुष्य ही नहीं पशु और पक्षी भी चाहता है । 
वेदों का एक बात क्या है जीवेत शरदः शतम्। हम 100 वर्ष तक जीवित रहे ।और यह तभी हो सकता है जब हमारे पास स्वस्थ रहने की जानकारी हो ।स्वस्थ रहने की कुंजी हमारे हाथ में ही है ।हम लोग रोगी होते हैं तो, अपनी वजह से ही होते हैं। जब हम अपनी प्रकृति के नियमों का पालन करना छोड़ देते हैं तब हम रोगी होते हैं।
 स्वस्थ रहने के लिए हमें स्वास्थ्य रहने की नियमो को जानना जरूरी है। आइए हम यहां पर स्वस्थ और निरोगी रहने के कुछ नियमो की चर्चा करें। जिनका पालन करने से हमारे स्वास्थ्य की रक्षा होगी। साथ ही रोगियों को रोगों से छुटकारा भी मिलेगा। और व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकेगा। इसलिए जरूरी है कि हम 
स्वास्थ्य के नियम, स्वास्थ्य जीवन के प्राकृतिक नियम के नियमों का 100% कड़ाई से पालन करें ।

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स्वास्थ्य क्या है ? :-

स्वास्थ्य के नियमों का पालन करते हुए जीवन जीने पर प्रकृति के द्वारा दिया जाने वाला उपहार ही स्वास्थ्य है।
 यह नियम क्या है?
 यह नियम है ! शरीर के प्राकृतिक क्रियाओं को स्वतः संचालित होने देना। शरीर की एक्टिविटी में  कम से कम इंटरफेयर करना । मेरे सभी काम अपनी गति से, अपने समय से होने चाहिए। प्रकृति के सभी घटक तारे ,सितारे ,पृथ्वी ,हवा जल आदि अपना काम कर रही हैं। धरती अपना काम कर रही है, सूर्य किरण की बौछार कर रहा है, हवा चल रही है, प्रकृति की सभी रचनाएं अपना काम सही ढंग से संचालित कर रही हैं। लेकिन हम इस आधुनिकता के दौर में अपनी प्राकृतिक जीवन शैली को भूल चुके हैं ।जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है कि, हम रोज बीमार हो रहे हैं। हमारा स्वास्थ्य गायब है । क्योंकि आधुनिक सभ्यता हमें प्रकृति से विपरीत दिशा में ले जाती है। हम खूब आधुनिक बन जाए, लेकिन रहन-सहन या स्वास्थ्य से संबंधित नियमों को प्राकृतिक ही रहने दें । तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं ।यदि हमारे शरीर की जो प्राकृतिक एक्टिविटी है ढंग से होती रहे ।तो हम स्वस्थ है,ऐसा कह सकते हैं।

स्वास्थ्य जीवन के लिए सोना और जागना निश्चित समय पर होना चाहिए:-

 सोने और जागने के क्रम का कडा़ई के साथ पालन करना चाहिए ।बच्चों में भी जल्दी जागने की आदत डालिए। इसके लिए जरूरी है कि शाम के 8:00 बजे तक भोजन कर ले, और नौ साडे 9:00 बजे तक सोने जाएं। यदि आप जल्दी सोएंगे तो आप जल्दी उठेंगे । सुबह आपकी नींद जल्दी खुल जाएगी और आप चुस्ती फुर्ती और ताजगी महसूस करेंगे। और पूरे दिन भर कार्य क्षमता का उपयोग करके आगे बढ़ पाएंगे।
कभी भी देर रात तक ना जागे क्योंकि इससे आपकी कार्यक्षमता में गिरावट आएगी। और पूरे दिन आलस्य और सुस्ती सी बनी रहेगी ।प्रतिदिन कम से कम 6 से 7 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। और प्रातः 5:00 बजे तक बिस्तर छोड़ देना भी अनिवार्य है।

स्वस्थ जीवन के लिए शौच क्रिया विधि का पालन करें :-

सुबह जागने के बाद मुंह साफ करें ।और एक दो गिलास रात में तांबे के पात्र में रखा हुआ ठंडा जल पिए, और फिर 5 मिनट बाद शौच के लिए जाएं ।बेड टी की लत बिल्कुल भी ना डालें। यदि बेड टी की आदत है तो उसे छोड़ दें । शौच के लिए दोनों वक्त जाएं । यदि दो बार भोजन करते हैं तो शौच के लिए भी दो बार जाएं। कुछ लोगों की शिकायत होती है कि शाम के समय शौच जाने की इच्छा या हाजत नहीं होती इसके लिए आप कुछ दिनों तक बिना इच्छा के ही शौच के लिए जाएं कुछ दिन में अपने आप ही शाम को आपको शौच होने लगेगा।
सुबह सुबह ताजा पानी पीने से गुर्दे भी साफ होते हैं और शौच भी खुलकर आता है। पेट की सफाई के उद्देश्य से कभी भी तेज कब्ज नाशक दवाई ना ले इससे आंतो को नुकसान पहुंचता है। आंत की स्वाभाविक कार्य क्षमता कम हो जाती है। कभी कब्ज दूर करने की आवश्यकता हो ,तो ईसबगोल की भूसी या लवण भास्कर चूर्ण ले सकते हैं।
आइए अब हम शौच क्रिया पर जरा रसायन विज्ञान के दृष्टि से विचार करते हैं । जब हम किसी भी प्रकार का भोजन करते हैं यानी हमारे आहार में एक कचरा बचता है । भोजन पचाने के बाद एक कचरा बचता है जिसे टॉक्सिक या टॉक्सिन कहते हैं। यदि हम एकदम सही आहार ले तो भी कुछ ना कुछ कचरा जरूर बचेगा ही और वह भी टॉक्सिक ही होगा। जब हमारे शरीर के कार्यक्रम में यानी शरीर के शरीर के तालमेल में कही गड़बड़ी आती है तब सबसे पहले आहार का अवशोषण की क्षमता में गड़बड़ी होती है और हमारा मेटाबॉलिज भी गड़बड़ हो जाता है । दूसरे शब्दों में कहें तो शरीर में टॉक्सिक मटेरियल यानी कचरा जमा होने लगता है जबकि टॉक्सिक मैटरियल को मल निष्कासन के द्वारा रक्त से निकल जाना चाहिए। और टॉक्सिक मैटेरियल अधिक बनने लगता है ।और इस प्रकार से शरीर में टॉक्सिक मटेरियल या जहर जमा होने लगता है। जिससे बाद में हम रोगी हो जाते हैं ।टॉक्सिक मटेरियल का उत्पादन कुछ आहार में कम होता है तो कुछ में अधिक होता है और जिस आहार मे टॉक्सिक मटेरियल ज्यादा होता है वह ज्यादा नुकसान करते हैं। और ऐसे टॉक्सिक मटेरियल का सही समय में शरीर से बाहर निकलना जरूरी होता है। इसलिए हमें समय-समय पर शौच क्रिया के लिए जाते रहना चाहिए।

शारीरिक श्रम या व्यायाम जरूरी है :-

 स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से कुछ न कुछ व्यायाम करते रहना चाहिए । व्यायाम का यह मतलब नहीं है कि कठोर कसरत की जाए। तेजी से दौड़ना या तेज पैदल चलना भी एक व्यायाम है । शरीर में परिश्रम या थकावट उत्पन्न करने वाले कार्य को व्यायाम कहते हैं इस प्रकार से बुजुर्गो का सुबह शाम आधे घंटे तक तेज पैदल घूमना भी बुजुर्गों के लिए व्यायाम कहलाएगा । यदि घर के आस-पास कोई पार्क, बगीचा ,व्यायामशाला हो तो उस पर उगी घास में के ऊपर नंगे पैर चलना चाहिए। सुबह घास के ऊपर जो ओस की बूंदे होती हैं, उन पर नंगे पैर चलने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। नर्वस सिस्टम मजबूत होता है। घरेलू स्त्रियां घर के आस-पास तेजी से पैदल चल सकती हैं । बालिकाएं रस्सी कूदने का व्यायाम कर सकती हैं । यह अनुभव मे आया है कि जो औरतें घरेलू काम नहीं करती उनकी सिजेरियन डिलीवरी कराना पड़ता है। व्यायाम का सर्वोत्तम समय शौचादि के नेतृत्व के बाद और नाश्ते के पूर्व रहता है।

हमारा आहार भोजन और नाश्ता कैसा हो :-

1 - आहार के विषय में नियम

जब आहार के संबंध में चर्चा की जा रही हो तो यह मूलभूत बात जान लेना जरूरी है कि,
 हमारे आहारीय पदार्थ के पकाने की विधि क्या होनी चाहिए ? और हमारा आहार किस प्रकार का होना चाहिए ?
आहारी पदार्थ मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :- क्षारीय आहार एवं अम्ल वर्धक आहार।
1  -  क्योंकि मनुष्य का रक्त क्षारीय होता है, इसलिए क्षार वर्धक आहार स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है ।क्षार वर्धक आहार जैसे कि चोकर समेत आटे की रोटी ,कन समेत चावल ,सभी फल सब्जियां आदि क्षारीय आहार है।
 2 - चोकर रहित आटा ,मैदा ,सफेद चीनी, चाय, काफी, कोको, शराब, मिर्च मसाले आदि। अम्लता वर्धक पदार्थ हैं। इन पदार्थों से बचना चाहिए । अम्लता बढ़ा देने वाले पदार्थ खाने से रक्त मे अम्लता बढ़ जाती हैं। जिससे रोग होता है।
3 - आहार के संबंध में दूसरी बात यह जानना महत्वपूर्ण है कि आग के संपर्क में आने के बाद आहार में उपलब्ध विटामिन नष्ट हो जाते हैं। इसलिए किसी भी चीज को अपेक्षा से अधिक पकाने से बचना चाहिए । क्योंकि ज्यादा पकाने से पोषक गुण नष्ट हो जाते हैं।
4 - जो भी मौसमी फल जिस मौसम में उपलब्ध हो, उन्हें कम से कम ढाई सौ ग्राम की मात्रा में खाना चाहिए । सब्जियों में हरी पत्ती वाली भाजियों का भी अपने आहार में सम्मिलित रखना चाहिए।
6 - वसा में घुलनशील विटामिन का हमारे शरीर में उपयोग हो सके इसलिए जरूरी है कि हमारे भोजन में प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम घी या तेल शामिल हो 
7 - हमारे आहार में दूध जरूर शामिल होना चाहिए क्योंकि दूध प्रोटीन की आपूर्ति का एक बेस्ट साधन है । इसलिए प्रतिदिन ढाई सौ ग्राम दूध प्रति व्यक्ति को फल और नाश्ते के समय अवश्य लेना चाहिए।
8 - जल भी एक प्रकार का आहार ही है। कम पानी पीने से अनेक रोग होते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 2 लीटर पानी अवश्य ही पीना चाहिए।

 2 - भोजन और नाश्ते के विषय में नियम :-

1 - नाश्ते में मौसम में मिलने वाले और पैदा होने वाले मीठे फलों का सेवन करना चाहिए। पिंड खजूर ,मुनक्का और किशमिश पपीता ,आम ,खरबूज ,तरबूज, किसमिस ,सेब, केला ,अंगूर अनानास आदि का सेवन करें
2 -  नाश्ते में चाय कॉफी का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है ।
3 - शीतकाल और वर्षा ऋतु में कोई हर्बल पेय या काढा़ ले सकते हैं। जो मन और शरीर दोनों के लिए टॉनिक के समान काम करेगी।
4  - नाश्ते में अंकुरित अन्न का सेवन करना फायदेमंद होता है। नाश्ता सुबह 7:00 से 8:00 के बीच में हर हालत में कर लेना चाहिए।
 5 - भोजन का समय बिल्कुल नियत होना चाहिए। यदि आप नाश्ता सुबह 7:00 से 8:00 के बीच कर लेते हैं तो दिन में भोजन 11:00 से 11:30 तक जरूर कर लेना चाहिए।
6 - भोजन और नींद का समय आने पर काम छोड़ कर ,भोजन और नींद लेना चाहिए।
 7 - निश्चित तथ्य है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा भोजन करना आवश्यक है। किंतु अच्छे भोजन का यह अर्थ नहीं है कि, उसमें महगे और ना पचने वाले भारी पदार्थ जैसे रबड़ी मिठाईयां काजू बदाम शामिल हो। बेमौसम की महंगी सब्जी खाने से अच्छा है कि समय पर अपने सीजन में 5 रुपए किलो की लौकी और टमाटर खाया जाए। कोशिश यह होनी चाहिए कि भोजन के सभी अवयव प्रयोग किए जाएं ।जो कि उचित और संतुलित मात्रा में हो।
8 - हमारे भोजन में अन्न, दाल ,फल ,सब्जी ,दूध, तेल घी आदि उचित मात्रा में शामिल होना चाहिए।
9- इस महंगाई में फल और सब्जी महँगे हो रहे हैं । फिर भी कुछ ऐसे फल और सब्जी हैं जो अपने सीजन में, पैदाइशी ऋतु में खूब सस्ते और हर जगह मिल जाते हैं। इन्हें अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। जैसे कि  लौकी, कद्दू ,पपीता टमाटर ,मुनगा, तरोई, भिंडी, पत्ता गोभी, पालक , बथुआ, चौलाई ,केला, पपीते, लीची, आम ,जामुन ,अंगूर आदि।
10 -  यदि ऐसे फल रोज नही मिल पाए, तो एक- दो दिन छोड़कर तो खाया ही जा सकता है । 
11 - भोजन हमारा हल्का और पचने वाला होना चाहिए। भोजन खूब चबा चबाकर करना चाहिए। 
12 - शाकाहारी भोजन मांसाहारी भोजन से उत्तम होता है ,और जल्दी पचता है।
13 -भूख से एक रोटी कम खाएं। भोजन में तेल, मिर्च, मसाले आम ,खटाई आदि का सेवन कम से कम करें या ना करें।
 14 - भोजन में एक समय चावल तो दूसरी समय दलिया ले या रोटी ले।
15 - सप्ताह में 1 दिन, या 15 दिन में 1 दिन ,या महीने में 1 दिन 24 घंटे का उपवास जरूर रखें। उपवास काल में हर घंटे सादा स्वच्छ पानी पीते रहे। और फल ले सकते हैं ।इससे आंतों को 1 दिन का विश्राम मिल जाता है। और शरीर डिटॉक्स होता है।
16 - उपवास के एक दिन पहले हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए।
17 - जब तक जरूरत ना हो तब तक का एलोपैथिक मेडिसिन ना लें। एलोपैथिक दवाइयां अपने आप ना ले। योग्य डॉक्टर की सलाह पर ही है।

स्वस्थ रहने के लिए कैसे कपड़े पहने :-

1 -हमें अपने कपड़ों का चुनाव मौसम के अनुसार करना चाहिए ।
2 - जहां तक संभव हो सके सूती कपड़ों का उपयोग करें। 
3 - सिंथेटिक कपड़े स्किन के लिए हार्मफुल होते हैं।
4 -  कपड़े सिलवाते समय यह ध्यान रखें कि कपड़े कसे हुए ना हो और ना ही ढीले हो ।ज्यादा कसे कपड़े पहनने से त्वचा के रोग और पेट के रोग जैसे अपाचे गैस बनने की शिकायत रोग होने की संभावना बन जाती है।

स्वस्थ रहने के लिए किसी भी प्रकार के नशे की लत से दूर रहें :-

1 - नशे की लत शरीर और मन दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं। 2 - धूम्रपान करना, तंबाकू खाना, गुटका खाना ,शराब पीना, गांजा ,भांग ,का नशा करना या अन्य नशे की चीजें लेना वेश्यावृत्ति ,यह सभी लत बन जाते हैं। जो शरीर, धर्म ,ज्ञान, थन ,इज्जत, सभी को नुकसान पहुंचाते हैं ।
4 - कुछ लोग मानसिक तनाव को दूर करने के लिए नशा करने लगते हैं। जिससे मानसिक तनाव और अधिक बढ़ जाता है। जिसके वजह से एसिडिटी ,पेप्टिक अल्सर, हाई बीपी पैरालिसिस, कैंसर आदि रोग होते हैं ।
5 -शराब पीने से लीवर की बीमारी होती है ।घर में लड़ाई झगड़े होते हैं। पड़ोस में इज्जत नहीं रह जाती और लड़ाई शुरू हो जाती है। इसीलिए नशे से दूर रहना चाहिए।
6 - चाय काफी की भी लत स्वास्थ्य को खराब करती है।

स्वस्थ रहने के लिए अपने वजन को भी संतुलित रखें :-

आपकी बॉडी का बॉडी मास इंडेक्स संतुलित होना चाहिए ओवरवेट होने पर हृदय रोग, मधुमेह ,पेट के रोग, ब्लड प्रेशर गाउट आदि रोग होते हैं ।इसलिए अपने वजन को संतुलित रखना चाहिए। बीएमआई के अनुसार अपने वजन को हमेशा संतुलित रखें।

स्वस्थ रहने के लिए धूप और खुली हवा का पर्याप्त सेवन करें :-

यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपने शरीर का संपर्क धूप और खुली हवा से बनाए रखिए ।सूर्य पृथ्वी के लिए ऊर्जा का स्रोत है ।और उससे हमें भी बहुत कुछ मिलता है। पेड़ पौधों को सूर्य की रोशनी ना मिले तो उसके पत्ते पीले पड़ जाते हैं। इसलिए आदमी को भी सूर्य का संपर्क होना जरूरी है। इसीलिए जितना संभव हो सके शुद्ध हवा में बिताए और सुबह सूर्य स्नान करें।

शरीर से टॉक्सिक मटेरियल निकालने वाले मार्ग खुले होने चाहिए :-

हमारे शरीर में इकट्ठा हुआ टॉक्सिक मटेरियल 4 रास्तो से, सही से बाहर निकलता है। मल के रूप में ,पेशाब के रूप में,  स्वसन के द्वारा CO2 ,और त्वचा से पसीना।
जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं तो, हमारे शरीर से टॉक्सिक मटेरियल पसीने और पैसा पेशाब के रूप में बाहर निकल जाती है। खुली हवा में सांस लेने से हम पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन लेते हैं, जिससे हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं। प्रतिदिन स्नान करने से त्वचा सही ढंग से काम करती है। हमें प्रतिदिन स्नान करना चाहिए और इस कार्य के लिए लगभग 15 मिनट का समय निश्चित देना चाहिए । तौलिए से त्वचा को साफ करने से त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं जिसस टॉक्सिक मटेरियल निकलने में आसानी होती है । इसलिए हमारी ऐसी आदत होनी चाहिए जिससे टॉक्सिक मटेरियल सही से बाहर निकलता रहे।

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