जामुन की गुठली खाने के फायदे और नुकसान

जामुन के वृक्ष सारे भारत वर्ष में पाए जाते हैं । इसका वृक्ष 100 फिट तक ऊँचा और 12 फिट तक मोटा होता है। पत्ते 3-6 इंच लम्बे 2-3 इंच चौड़े होते है। इसके वृक्षों को अधिकांश लोग पहचानते है। 

Jamun khaane ke fayde @onlychikitsa
Jamun khaane ke fayde 



इसमें अप्रैल से जून माह तक फूल और फल जून से जुलाई में लगते हैं। जो लगभग पूरे वर्षा काल में उपलब्ध रहते हैं । बड़ी और छोटी भेद से जामुन दो प्रकार की होती है। छोटी जामुन को 'कठजामुन और बड़ी जामुन को 'जामुन' कहते हैं। बड़ी जामुन की अपेक्षा छोटी जामुन में गूदा कम होता है। 

आयुर्वेद के मतानुसार बड़ी जामुन स्वादिष्ट, विष्टम्भी भारी और रुचिकर होती है। छोटी जामुन ग्राही सूखी और कफ, पित्तविकार, रक्तविकार तथा दाह का शमन करने वाली होती है। ये गुण जामुन के पके फल के हैं। जामुन की गुठली भी अपने चिकित्सीय गुणों में पीछे नहीं है। तो आज हम जामुन और जामुन की गुठलियों के उपयोग के बारे में चर्चा करेंगे।

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1- जामुन के गुण धर्म और पोषक तत्व:-

जामुन की गुठली मलरोधक मधुमेह तथा बहुमूत्र नष्ट करती है स्वाद में यह कषैला रसवाली तथा जीभ को रूखा करती है। वैज्ञानिक खोजों से प्रमाणित हो चुका है कि जामुन के फल में आर्द्रता 83.7% प्रोटीन 0.7% वसा 0.3% कार्बोहाइड्रेट 14% खनिज द्रव्य, विटामिन ए, बी, सी, मेलिक एसिड, ऑक्जेलिक एसिड, गैलिक एसिड, टैनिन, एक सुगन्धित तैल और नील रंजक द्रव्य पाए गए हैं। इसके बीजों में कैल्शियम और प्रोटीन खास रूप पाया गया है।

3- जामुन का औषधीय उपयोग :- 

यद्यपि औषधि के रूप में जामुन के फल, गुठली, छाल और पत्ते सभी प्रयोग किए जाते हैं पर यहां पर हम केवल जामुन के फलों के गुण  उपयोग का विवरण प्रस्तुत करेंगे ताकि इस मौसम में होने वाले सस्ते और सुलभ फल का सेवन कर आप स्वस्थ रहें प्रातः नाश्ते में 100 ग्राम जामुन के फल नित्य सेवन करने से कब्ज दूर होता है, 

1 - स्किन डिजीज दूर करता है :-

रक्त विकारों में भी जामुन का फल उपयोगी है इसके नित्य सेवन से रक्त शुद्ध होता है जिससे अनेकों प्रकार के चर्म रोग नष्ट होते है । 

2 - इनडाइजेशन दूर करता है :-

जामुन का फल भूख बढ़ाने वाला भोजन पचाने वाला तथा यकृत् को उत्तेजितकर पाचक रस पैदा करने वाला है । मन्दाग्नि के रोगियों को तो यह फल अमृत के समान लाभकारी है।

3 - अस्थमा में :-

 श्वास कास के रोगियों को 20-20 मि० लि० जामुन के फल का रस बहुत ही उपयोगी है। 

4 - संग्रहणी को दूर करता है:-

जिन्हें भोजन करते हो दस्त लगने की शिकायत हो उन्हें सेंधानमक और जोरा मिलाकर नित्य सुबह खाली पेट) 50 ग्रा० पके बड़े जामुन सेवन करना चाहिए तैल खटाई मिर्च, मसाले का सेवन बन्द रखें। 

5 - श्वेत प्रदर को दूर करता है :-

जिन नारियों को श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर की शिकायत हो ये 100 ग्रा० जामुन के फलों का गूदा निकालकर थोड़ी सी मिश्री और जीरा मिलाकर 1 गिलास शर्बत बनाकर नित्य सुबह और शाम 4 बजे सेवन करना चाहिए परहेज पूर्वक रहने और 21 दिन सेवन करने से निश्चय लाभ होता है। 

6 - लिवर की कमजोरी को दूर करता है :-

जिनका लिवर कमजोर हो उन्हें जामुन का सेवन बहुत ही हितकर है। उन्हें 50 ग्राम जामुन के फल रोज भोजन के बाद सेवन करना चाहिए। कुछ ही दिनों में जिगर की कमजोरी दूर हो जाएगी क्योंकि खोजों के अनुसार इसमें लौह तत्व भी पाया गया है। 

जामुन के सेवन करते समय सावधानियां :-

जामुन के फलों के सेवन में कुछ सावधानियां भी है। अम्लपित्त और पेप्टिक अल्सर के रोगियों को जामुन उतना अनुकूल नहीं है पर कभी कभार और कम मात्रा में सेवन कर सकते यह प्रबल वातवर्धक है अतः वात रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसका सेवन कम मात्रा से शुरू करना चाहिए अधिक खा लेने पर विष्टम्भी है। उदर विकार के रोगियों को हल्के फलों का रस निकालकर 10-20 ग्राम सेवन करना चाहिए।