सर्वांगासन योग कैसे करें सर्वांगासन योग के लाभ

 सर्वांगासन योग कैसे करें। सर्वांगासन योग के लाभ


कहावत है-'करें योग-रहें नीरोग।' कुछ आसन ऐसे हैं, जिनसे लाभ दूसरे आसनों का भी मिल जाता है जैसे शीर्षासन सब लोगो के लिए उपयूक्त नहीं होता है। तथा यह कठिन भी। है, परंतु उसका लाभ हमें सर्वांगासन से सहज ही मिल जाता है।जैसा कि नाम है-सर्वांगासन अर्थात सभी अंगों का आसन। इस आसन में शरीर के सभी अंगों पर प्रभाव पड़ता है। इस आसन में पूरे शरीर को कंधों के सहारे संतुलित किया जाता है। आज के modern age में, भौतिकवादियो को अपनी health को fit रखने पर तो ध्यान ही नहीं जाता है। यदि थोड़ा समय गिने-चुने हुए कुछ आसनो और प्राणायाम के लिए मिल जाए तो निश्चित ही मानव जीवन को सार्थक कर सकते हैं। हलासन से पूर्व सर्वांगासन किया जाता है। तो आइए आज हम सर्वांगासन के करने की विधि और उसके लाभ के बारे में चर्चा करेंगे :-

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Sarwangasan
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    सर्वांगासन के लाभ फायदे :-


    (1) इसका  direct effect  गरदन की नस- नाड़ियों पर पड़ने से वहाँ स्थित थायराइड ग्रंथ का कार्य सही ढंग से संपादित होता है। थायराइड संबंधी समस्या में इस आसन के साथ ब्रह्ममुद्रा, सिंहासन, जालंधर बंध, उज्जायी प्राणायाम भी जोड़ दें तो सोने में सुहागा होगा।

    (2) प्रजनन-अंगों (reproductive-organs) से संबंधित समस्याओं और रोगों में लाभ होता है।

    (3) जिन बच्चों की hight नहीं बढ़ती है, उनकी hight भी बढ़ने लगती है।

    (4) नाक, कान और गले (E.N.T) के रोगों में लाभ होता है।

    (5) इस आसन को नियमित रूप से करते रहने  से कब्ज (constipation) एवं बवासीर (piles) की समस्या दूर होती है।

    (6) स्मरणशक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है।

    (7)इससे अनिद्रा रोग दूर होता है। सर्वांगासन तथा योग निद्रा आसनो को रोज के क्रम में अभ्यास करना चाहिए।

    (8) हाइड्रोसील, मधुमेह में लाभप्रद है।

    (9) मस्तिष्क की तरफ blood flow बढने के कारण brain को पर्याप्त मात्रा में रक्त से nutrition(पोषण) मिलने के कारण brain strong बनता है। और मानसिक रोगों (mental problems) में लाभ होता है।

    (10) दमा (asthma) को दूर करता है तथा छाती(breast) की चरबी कम करता है।

    (11) अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के कार्यों को संतुलित रखता है।


    सर्वांगासन करते समय की सावधानियाँ :-

     सर्वांगासन योग करते समय निम्नलिखित सावधानियों का जरूर पालन करना चाहिए :-


    (1) गर्भावस्था (pregnency) में इस आसन का अभ्यास कभी भी न करें।

    (2) उच्च रक्तचाप के रोगी यह आसन न करें।

    (3) यदि रीढ़ का दरद (back bone pain) या गरदन का दरद( neck pain), स्पान्डिलाइटिस हो तो यह आसन करने से बचे।

    (4) हृदय रोग तथा लिवर एवं तिल्ली से संबंधित रोगों में यह आसन न करें।


    सर्वांगासन योग करने की विधि :-


    (1) पीठ के बल जमीन पर लेट जाइए।

    (2) आसन का अभ्यास करते समय (पैरों को ऊपर उठाते समय) गहरा श्वास खींचिए तथा वापस लौटते समय श्वास अंदर खींचिए।

    (3)और अब आप अपने दोनों पैरों को सीधा ऊपर की ओर

    उठाइए और दोनों हाथों से कमर को सहारा दें।

    (4) 90 डिगरी का कोण बनाइए।

    (5) आसन करते समय अपने पैरों ,पीठ , और कमर को

    एक सीध में रखिए।

    (6) पैरों की उँगलियों को आकाश की ओर तानें और नेत्रों की दृष्टि अपने पैरों की उँगलियों पर रखिए।

    (7) श्वास-प्रश्वास का क्रम सामान्य रूप से चलने दीजिए।

    (8) धीरे-धीरे पूर्वावस्था में लौटने के लिए दोनों हाथों का सहारा देते हुई आराम से पूर्व  स्थिति में आइए। 

    (9) यह आसन इस प्रकार प्रतिदिन तीन बार कीजिए ।

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