कब्ज (constipation) का घरेलू और प्राकृतिक इलाज

 

 कब्ज(constipation) का घरेलू और प्राकृतिक इलाज

आज के भाग-दौड़, आपा-धापी वाले विज्ञान के युग में लाइफस्टाइल मे  आदतों में परिवर्तन आ गया है, जिसमें सबसे अधिक। प्रभाव पाचन प्रणाली और तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर पड़ रहा है, जिसके कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बिगड रहा है।

क्रोध, तनाव, चिंता, अनिद्रा, निराशा (डिप्रैशन) आदि। मानसिक या मनोदैहिक (साइकोसामैटिक) रोगों की भरमार हो रही है। डॉक्टरों को औषधियों से लाभ मिलता नजर नहीं आता है, जिसके कारण रोगों के साथ जिंदगी जीने पर हम मजबूर

हैं। आयुर्वेद के अनुसार सब रोगों का मूल कारण मलावरोध यानी कब्ज है। तो आइए आज हम कब्ज के कारण, कब्ज का घरेलू इलाज और कब्ज के प्राकृतिक इलाज के बारे में चर्चा करेंगे।

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    कब्ज के प्रमुख कारण

    बड़ी आँत से स्वाभाविक रूप से मल-विसर्जन न होने के अनेक कारण हैं, जिनमें कुछ कारण निम्न है।

    (1) मल की हाजत को रोकना-

    जब मल त्याग की इच्छा  हो उसे नहीं रोकना चाहिए। प्रत्येक

    शरीर में एक जैविक घड़ी (इकोलॉजिकल वॉच) होती है, जो अपने समय पर भूख, नींद, मल-विसर्जन आदि को समयानुसार करती है, जब हम उस प्राकृतिक सूचना का उल्लंघन करते हैं, तो जैविक घड़ी गड़बड़ा जाती है। और हमे कब्ज का रोगी बनना पड़ता है। अतः समय पर शौच के लिए जाना ही चाहिए।

    (2) परिश्रमशीलता का अभाव-

    दैनिक सुबह-शाम एक-एक घंटा टहलना या योगासन-प्राणायाम,

    व्यायाम (कमरत) आदि अपनाना चाहिए जिससे नाड़ियाँ, मांसपेशियों स्वस्थ व ताकतवर बनी रहें।

    (3) गहरी नींद का अभाव-

    भविष्य की चिंता, तनाव, खून की विकारग्रस्तता, व्यवसाय में

    हानि-लाभ आदि की उधेड़बुन जैसे अनेक कारण हैं, जिनके कारण गहरी नींद 7-8 घंटे नहीं होने से मेटावालिज्म बिगड़ जाता है, जिसके अनेक दुष्परिणामों में पहला दुष्प्रभाव कब्ज के रूप में प्रत्यक्ष दिखाई देता है।

    (4) स्वास्थ्य नियमों का पालन न करना-

    यह कटु सत्य है कि जो अपने आप को सभ्य या उच्च जीवनस्तर का मानते हैं, उनमें एक नासमझी देखने को मिलती है; वह है-रिफाइंडेड खाद्यों के प्रति रुचि। बिना चोकर के आटे की रोटी खाना। मैदा एवं सफेद चीनी का प्रयोग करेंगे तो कब्ज तो पैदा होगा ही, यह सुनिश्चित मानिए। पेट का मल आगे सरकाने में चोकर (फाइबर) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अप्राकृतिक जीवन जीने के दंडस्वरूप कब्ज रोग पैदा होता है। अत: चक्की से गेहूँ का आटा अधिक महीन न पिसवाएँ, चोकर को संजीवनी मानकर चोकरयुक्त आटे की रोटी और हरी सब्जियाँ खाएँ। बिस्कुट, कचौड़ी, समोसा, मठरी, मैदा, चीनी, मिठाइयों से  परहेज रखें। कोल्डड्रिंक्स, चाय, कॉफी आदि नशीले एवं हानिकारक पेय पदार्थों से बचें।

    (5) असमय भोजन करना-

    कड़ी भूख लगने पर भोजन करना चाहिए। भोजन करते समय जल्दबाजी करने से मानसिक तनाव, क्रोध, झुंझलाहट आदि पर्सनालिटी डिसआर्डर के रोग भी होते हैं तथाअपच और कब्ज भी।

    भोजन हमेसा शांतचित्त मन से अच्छी तरह चबा-चबाकर प्रसन्नता पूर्वक करना चाहिए।

    कब्ज निवारण के प्राकृतिक उपाय

    (1) प्रात:काल शौचादि से निवृत्त होकर मिट्टी की पट्टी 30 से 40 मिनट पेट पर रखें तथा जल का एनिमा देकर बड़ी आंत की शुद्धि करें।

    (2) प्रतिदिन प्रातः टहलने जाने के पूर्व 10 मिनट ठंढा कटिस्नान (केवल कमर, जाँघ-पेट वाला हिस्सा पानी में रहता है) लें। यह उपचार एक माह तक लेने से यथेष्ट लाभ होता है। प्राकृतिक आहार-विहार का पालन अनिवार्य है।

    (3)  पेट की गरम-ठंढी सेंक प्राकृतिक उपचार-विधि से देकर

    संपूर्ण पाचनसंस्थान को सशक्त बनाएँ। यह क्रम 15-20 दिनों तक नियमित चलाएँ।

    (4) आहार में चोकरयुक्त आटे की रोटी, दलिया, हरी सब्जियाँ (रसदार) [कम मिर्च-मसाला तथा कम तेल की] एवं सलाद का सेवन करें। भोजनोपरांत 200 ग्राम ताजे दही को मथकर उसमें 3-4 ग्राम अजवायन भूनकर, पीसकर मिला दें, स्वादानुसार,

    काला नमक या सेंधा नमक भुना हुआ जीरा मिलाकर पीना अत्यंत लाभप्रद होता है।

    कब्ज के घरेलू उपाय

    (1) 15-20 मुनक्का स्वच्छ पानी से धोकर, 100 ग्राम स्वच्छ पानी में भिगोकर 8-10 घंटा रखें। सुबह-शाम मुनक्का का पानी भी पी लें तथा मुनक्का का सेवन करें, अंदर का इसका बीज न खाएँ।

    (2) 20 ग्राम कैस्टर ऑयल (अरंडी का मेडिकेटेड तैल) गरम दूध में देशी खाँड या मिसरी मिलाकर पीने से लाभ होता है।

    (3) कच्चा पपीता या पका पपीता नित्य भोजन के बाद सेवन करना लाभप्रद होता है।

    (4) अमरूद के मौसम में नित्य अमरूद खाना कब्ज को ठीक करता है।

    (5) 50-50 ग्राम सौंफ आधी कच्ची तथा आधी सेंकी हुई लेकर 5 ग्राम भोजन के बाद मुख में रखकर चबाकर सेवन करें।

    (6) छोटी हरड़ को घृत में सेंक लें तथा पीस ले उतनी ही मात्रा में काला नमक मिलाकर रखें। इस चूर्ण को 3 ग्राम मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सोते समय ले इससे कब्ज दूर होती है।

    (7) हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में सोते समय पानी के साथ सेवन करना अत्यंत लाभप्रद उपाय है।

    (8) इसबगोल की भूसी 3 ग्राम लेकर उसे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मल का सूखापन दूर होता है, और प्राकृतिक तौर पर मलावरोध दूर होता है।

    (9) भोजन के 2 घंटे बाद फलों का सेवन करना चाहिए।

    (10) गाजर का रस, पालक का रस या टमाटर का रस 200 ग्राम नित्य पीने से लाभ होता है।

    (11) प्रातः एक गिलास गरम पानी में आधा नीबू निचोड़कर पीना चाहिए।

    (12) अनार, सेब, बेल, नासपाती, अमरूद,चीकू, पपीता, आग, मौसमी, संतरा, जामुन, तरबूज,खरबूजा, खीरा, ककड़ी, करेला, गाजर, मूली, टमाटर, हरा धनिया, लौकी, मेथी, पालक, पत्तागोभी आदि ।

    अपने मौसम में जब भी पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं तब जो उपलब्ध हो, पर्याप्त मात्रा में सेवन करें इसे रफेज की मात्रा बढ़ती है और कब्ज दूर होता है।

    (13) भिगोए हुए देसी चने, अदरक, सेंधानमक, या काला नमक

    टमाटर प्याज आदि मिलाकर खाने से कब्ज दूर होता है।

    (14) 4-5 अंजीर पाली में भिगोकर सुबह-शाम सेवन करें तथा उस पानी को भी पी लें। अंजीर कब्ज, बवासीर आदि के लिए बड़ी लाभत औषधि है।

    (15) बेल (बिल्व) का ताजा शरबत बनाकर  पीना कब्ज, गैस, पाइल से बचाता है।

    (16) प्रातः आधा लीटर से एक लीटर पानी कागासन (उकड़ बैठकर) पीने के बाद कौआ चाल (यौगिक क्रिया) करें इससे कब्ज टूटता है।

    कब्ज में परहेज

    (1) सभी प्रकार के तले खाद्य, फास्ट- फूड, गरम-मसाले, मैदा-बिस्कुट, मैदा-खाद्य, सफेद चीनी, चाय, कॉफी, कोल्डड्रिंक्स, ब्रेड, टोस्ट, अचार एवं डिब्बाबंद सभी खाद्य मैदा की रोटी, पॉलिश दाल, पालिश चावल आदि को छोड़ना उचित होगा।

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