सहजन (ड्रमस्टिक) के फायदे

 

 सहजन (ड्रमस्टिक) के फायदे

सहजन औषधीय गुणों से भरपूर होता है। सहजना को सेजना, सैजना, मुनगा आदि विभिन्न नामों से जानते हैं। इसे ड्रमस्टिक के नाम से भी जाना जाता है। आदिवासी अंचल में इसकी खूब पैदावार होती है। अभी यह सभी जगह पाए जाने लगा है उसके विभिन्न औषधीय उपयोग हैं। इसकी सब्जी और कढ़ी बड़े चाव से खाई जाती है। सहजन ,मुनगा या ड्रमस्टिक पतली स्टिक के समान होती है ।जिसके अंदर बीज और पल्प होता है। Munga की पत्ती फल फूल जड़ आदि सभी को औषधि के रूप उपयोग कर सकते है। आज हम आपने इस लेख में  सहजन या मोरिंगा के विभिन्न औषधीय गुणों का वर्णन करेंगे।

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    आयुर्वेदिक मतानुसार ड्रमस्टिक या सहजन के गुण-दोष

    भूख बढ़ाने वाला, दाह पैदा करने वाला, शुक्रवर्द्धक, हृदय के लिए हितकारी, कफ, वात, कृमिरोग, सूजन, मैदरोग(मोटापा) तथा आँखों के लिए हितकर, विषनाशक है, सिरदरद दूर करता है। सहजना को हरे रंग की फलियों की सब्जी खाने का प्रचलन है। यह वातनाशक गुणों से भरपूर होने के कारण अत्यंत उपयोगी है।

                     

    Drumstick ke fayde
    Munga uses

    सहजन मे मिलने वाले पोषक तत्व

    सहजन में 5 गुना दूध के बराबर कैल्शियम होता है। वहीं, एक सिट्रस फ्रूट्स की तुलना में इससे पांच गुना अधिक विटामिन-सी मिलता है। सहजन मे प्रोटीन, पोटेशियम, आयरन, मैगनीशियम जैसे मिनरल और विटामिन-बी कॉम्पलैक्स भी पाया जाता है।


    सहजना के औषधीय प्रयोग

     1 --वातनाशक तेल-

    सहजना की छाल का आंतरिक भाग एक किलो लेकर 5 किलो पानी में औटाएँ। जब आधा किलो काढ़ा शेष रहे, तब 1 लीटर सरसों के तेल में पकाएँ तथा ठंढा करके कांच की बोतल में भरकर रखें। इस तेल से नित्य मालिश करने से सब प्रकार के वात रोगों में लाभ होता है।

    2 --बाँयटे में-

    सहजना के जड़ की छाल 20 ग्राम

    लेकर 500 ग्राम पानी में पकाएँ, जब पानी 125 ग्राम

    शेष बचे, तब आग से उतारकर ठंडा कर लें तथा

    छानकर पीने से लाभ होता है।

    3 --गांठ होने पर-

    सहजना का गाँद गाँठ पर लेप करने से गाँठ की सूजन मिटती है। धीरे-धीरे गाँठ समाप्त हो जाती है।

    4 -- कान दरद में-

    सहजना की जड़ का रस 2-4 बूंद कान में टपकाने से कर्णशूल मिटता है।

    5 -- सायटिका में- 

    सहजना का पाक बनाकर सेवन करने से लाभ होता है।

    सहजन पाक बनाने की विधि-

     250 ग्राम सहजना की गोंद लेकर घृत में तल लेना चाहिए, तत्पश्चात गेहूँ का आटा 500 ग्राम लेकर उसे 500 ग्राम पृत में सेंक (भून) लेना चाहिए, फिर 500 ग्राम गुड़ की चासनी में 50 ग्राम सोंठ चूर्ण तथा उपरोक्त सभी सामग्री मिलाकर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 लड्ड सेवन करने से लाभ होता है।

    6 -- आँखों के दर्द में- 

    वाग्भट के अनुसार वात, पित्त एवं कफ किसी भी दोष के कारण आँखों में दरद हो तो सहजना के पत्तों का रस लेकर उसमें समान मात्रा में शहद मिलाकर आँखों में आँजने से लाभ होता है।

    7--  जलोदर (ड्राप्सी)- 

    सहजना की जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर 30 ग्राम की मात्रा में पिलाने से जलोदर, शरीर के आंतरिक अंगों की सूजन तथा यकृत (लिवर) संबंधी रोगों में लाभ होता है।

    8 -- मूत्र की रुकावट में-

     (1) सहजना के फूलों को 10 ग्राम लेकर पीस लें तथा मिसरी सहित एक गिलास पानी में मिलाकर पिलाने से मूत्रवृद्धि होती है। रुकावट दूर होती है।

    (2) सहजना के फूल न मिलें तो सहजना के पत्तों का क्वाथ बनाकर पीने से भी लाभ होता है।

    9 --पथरी में- 

    सहजना के पत्तों का क्वाथ बनाकर प्रतिदिन खाली पेट गुनगुना क्वाथ पिलाने से पथरी टूट-टूटकर निकलने लगती है।

    10-- आंतरिक घाव में- 

    सहजना की जड़ का रस 10 ग्राम लेकर उसमें 10 ग्राम शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

    11 -- दाढ़ के दरद में- 

    सहजना की गोंद 3 ग्राम मुँह में रखकर चूसने से दाढ़ का दरद बंद हो जाता है। दाढ़ों की सड़न दूर होती है।

    12 -- खाज-खुजली में- 

    महर्षि चरक के अनुसार

    सहजना के पत्तों का रस 200 ग्राम, सरसों का तेल 250 ग्राम में डालकर पकाएँ, जब तेल मात्र शेष रहे, तब छानकर ठंढा कर लें तथा 10 ग्राम कपूर मिलाकर रख लें। इस तेल की मालिश से खाज-खुजली तथा सूजन मिटती है।

    13 -- हाथीपाँव (श्लीपद) में-

     सहजना की जड़ को पीसकर गरम करें तथा सुहाता गरम लेप

    करने से लाभ होता है।

    14- मूत्रकृच्छ में- 

    Munga की गोंद 10 ग्राम और 200 ग्राम curd के साथ 7 दिनों तक खाने से लाभ होता है।

    15 -- घुटनों के दरद में- 

    सहजना के बीजों को पानी में पीसकर गरम लेप करने से दरद मिटता है।

    16 -- आँत्रकृमि में- 

    सहजना की फली की सब्जी बनाकर खाने से आँतों के कृमि नष्ट होते हैं।

    17 -- पारी के बुखार में-

     सहजना की जड़ एक तोला लेकर उसका काढ़ा बनाकर पिलाने से बार- बार आने वाला ज्वर दूर होता है।

     18-- अपस्मार (हिस्टीरिया) एवं पारी के बुखार में- -

     सहजना की जड़ 10 ग्राम लेकर कूटकर उसका काढ़ा बनाकर पिलाने से लाभ होता है।

    19 - -रतौंधी में- 

    सहजना की कोमल डालियों को पीसकर, रस निकालकर शहद मिलाकर आँखों में आँजने से लाभ होता है।

    20 --  कान की सूजन में- 

    Munga की छाल और सरसों के बीज को बराबर मात्रा में पीसकर थोड़ा गरम करके लेप करने से लाभ होता है।

    21 --मुँह के छालों में- 

    सहजना की जड़ का काढ़ा बनाकर कुल्ले एवं गरारे करने से लाभ होता है।

    22-- फोड़ा होने पर— 

    सहजना की छाल को पीसकर गरम लेप करने से फोड़े की सूजन उतरती है।

    ह्रदय रोगों के लिए

    मुनगा या सहजन की पत्ती और फल और फूल का नियमित उपयोग  करते रहने से ह्रदय रोगों से सुरक्षा हो जाती है। हाई बीपी , चेस्ट पेन में मुनगा की सब्जी की बहुत लाभ करती है

     मुनगा कैल्शियम और प्रोटीन का बेस्ट सोर्स है इसलिए इसका दैनिक जीवन में उपयोग करके हम लाभ उठा सकते हैं।



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